अंधी बुढ़िया और गणेशजी का वरदान



अंधी बुढ़िया – गणेशजी की भक्त

एक गांव में
एक अंधी बुढ़िया रहती थी।

वह अपने पति, बेटे और बहू के साथ,
एक झोपड़ी में रहती थी।

बुढ़िया गणपति जी की भक्त थी।

वह रोज़ सुबह
गणपति जी की पूजा करती और
बाद में कुछ समय
उनके ध्यान में बैठ जाया करती थी।


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बुढ़िया की भक्ति से, गणेशजी प्रसन्न हो जाते है

एक दिन जब बुढ़िया ध्यान में बैठी थी,
तब उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर
गणपति जी उसके सामने प्रकट हो गए,
और बोले –

माई, मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूं;
तुझे जो चाहिए, वह मांग ले।

बुढ़िया बोली –
हे गणेशजी महाराज!
मैं आपके दर्शन पाकर धन्य हो गई,
मैं आपसे और क्या मांगू?

गणेश जी ने कहा –
ठीक है, तू अपने घर वालों से पूछ कर
जो चाहिए वह मांग लेना।

मैं कल फिर आऊंगा।

ऐसा कहकर गणशजी अन्तर्ध्यान हो गए।


बूढी माई सब से पूछती है

बुढ़िया पूजा-पाठ और ध्यान पूरा करके,
अपने बेटे और बहु को बुलाती है और
उनसे पूछती है कि
वह गणेश जी से क्या मांगे।

बुढ़िया का बेटा कहता है कि
धन मांग लेना।
और बहू कहती है कि
नाती मांग लेना।

बुढ़िया ने सोचा कि
घर वाले तो सिर्फ अपना मतलब का ही सोच रहे हैं।

इसलिए वह अपने पड़ोसियों से पूछती है कि
वह गणेश जी से क्या मांगे।

उसके पड़ोसी कहते हैं कि
तू धन लेकर क्या करेगी।

तू अपने लिए आंखों की दृष्टि मांग ले,
जिससे तेरी बाकी जिंदगी
बिना तकलीफ से गुजर जाए।

पड़ोसियों की बात सुनने के बाद
बुढ़िया घर वापस आती है,
और सोचती है कि
मैं भगवान से ऐसी चीज मांगूंगी,
जिससे मेरा भी भला हो जाए और
मेरे परिवार का और सबका भी भला हो जाए।


बुढ़िया माई, गणपतिजी से वरदान मांगती है

दूसरे दिन वह बुढ़िया
जब गणेश जी की पूजा करके
ध्यान में बैठती है,
तब गणेश जी
फिर से उसके सामने प्रकट हो जाते हैं।

गणेश जी बुढ़िया से पूछते हैं –
माई, तूने क्या सोचा, तुझे क्या चाहिए?
तुझे जो चाहिए, मैं तुझे दूंगा।

बुढ़िया बोलती है – हे गणेशजी!
यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं,
तो मुझे मेरी आंखों की दृष्टि दे दो,
अमर सुहाग का वरदान दो,
निरोगी काया दो,
समस्त परिवार को सुख दे दो,
नाती पोता दे दो,
नौ करोड़ की माया दो और
अन्त में मुझे मोक्ष का वरदान दे दो।

गणेश जी मुस्कुरा देते हैं और कहते हैं –
बुढ़िया तू बहुत बुद्धिमान हैं।

लेकिन मैंने कहा था कि,
जो तुझे चाहिए, वह मैं तुझे दूंगा,
इसलिए तुझे यह सभी चीजें मिल जाएगी।

ऐसा कहकर,
गणशजी ने बुढ़िया को आशीर्वाद दिया
और अन्तर्ध्यान हो गए।


गणपतिजी की कृपा से, बुढ़िया के दुःख दूर हो जाते है

बुढ़िया जब ध्यान से उठती है
तो देखती है कि
उसकी आँखों की रौशनी
वापस आ चुकी है और
उसकी झोपड़ी की जगह
एक आलीशान महल बना हुआ है।

हे गणेशजी महाराज,
जैसे बुढ़िया को उसकी इच्छा के अनुसार,
आपने सब कुछ दिया है,
वैसे ही सब भक्तों पर कृपा करना और
उनकी सभी इच्छाएं पूरी करना।

॥बोलो गजानन महाराज की जय॥

वक्रतुण्ड महाकाय
सूर्य कोटी समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव
सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

ॐ गं गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः
गणपति बाप्पा मोरया॥


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