- नवरात्रि में,
- दुर्गा पूजा के अवसर पर,
- माँ के नौ रूपों की,
- पूजा-उपासना की जाती है।
- माँ दुर्गा के इन नौ रूपों को,
- एक साथ नवदुर्गा कहा जाता है
माँ दुर्गा के नौ रुप
शैलपुत्री (Shailputri)
ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
चन्द्रघन्टा (Candraghanta)
कूष्माण्डा (Kusamanda)
स्कन्दमाता (Skandamata)
कात्यायनी (Katyayani)
कालरात्री (Kalaratri)
महागौरी (Mahagauri)
सिद्धिदात्री (Siddhidatri)
नवदुर्गा के नामों का श्लोक
निम्नांकित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं –
प्रथमं शैलपुत्री च
द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति
कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥
पंचमं स्कन्दमातेति
षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति
महागौरीति चाष्टमम्॥
नवमं सिद्धिदात्री च
नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि
ब्रह्मणैव महात्मना:॥
देवी शैलपुत्री
- देवी शैलपुत्री,
- नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं।
- शैलपुत्री दुर्गा का महत्त्व और
- शक्तियाँ अनन्त हैं।
- नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस,
- माँ शैलपुत्री की पूजा और
- उपासना की जाती है।
- पर्वतराज हिमालय के घर,
- पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण,
- इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
- नवरात्र की प्रथम दिन की उपासना में,
- साधक अपने मन को
- – मूलाधार चक्र – में स्थित करते हैं।
- यहीं से उनकी योग साधना,
- आरम्भ होती है।
देवी शैलपुत्री की कथा, उपासना, महिमा और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
माँ ब्रह्मचारिणी
- नवरात्र पर्व के दूसरे दिन,
- माँ ब्रह्मचारिणी की,
- पूजा-अर्चना की जाती है।
- ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और
- चारिणी यानी आचरण करने वाली।
- इसलिए ब्रह्मचारिणी का अर्थ है,
- तप का आचरण करने वाली।
- नवरात्री के दुसरे दिन,
- साधक का मन
- – स्वाधिष्ठान चक्र – में,
- स्थित होता है।
- साधक इस दिन,
- अपने मन को,
- माँ के चरणों में लगाते हैं।
- माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से,
- मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य,
- सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
- माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप,
- भक्तों को अनन्तफल देने वाला है।
- माँ ब्रह्मचारिणी की कथा, उपासना, महिमा और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
देवी चंद्रघंटा
- नवरात्र-पूजन के तीसरे दिन,
- चंद्रघंटा देवी के स्वरूप की,
- उपासना की जाती है।
- इनकी कृपासे साधक के,
- समस्त पाप और बाधाएँ,
- नष्ट हो जाती हैं।
- इस दिन साधक का मन
- – मणिपूर चक्र – में,
- प्रविष्ट होता है।
- माँ चंद्रघंटा की कृपा से,
- अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं,
- दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा
- विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।
- ये क्षण,
- साधक के लिए,
- अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।
- माँ चंद्रघंटा का स्वरूप,
- परम शान्तिदायक और
- कल्याणकारी है।
- देवी चंद्रघंटा की उपासना, महिमा और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
देवी कूष्माण्डा
- नवरात्र-पूजन के चौथे दिन,
- कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की,
- उपासना की जाती है।
- कूष्माण्डा स्वरुप में माँ की आठ भुजाएँ हैं।
- इसलिए,
- ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं।
- कूष्माण्डा देवी, सृष्टि की आदि-स्वरूपा और
- आदिशक्ति हैं।
- इस दिन साधक का मन
- – अनाहत चक्र – में स्थित होता है।
- देवी की उपासनासे,
- भक्तोंके समस्त रोग-शोक,
- नष्ट हो जाते हैं।
देवी कूष्माण्डा की महिमा, स्वरुप, उपासना और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
माँ स्कंदमाता
- नवरात्रि का पाँचवाँ दिन,
- स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है।
- मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता,
- परम सुखदायी हैं।
- माँ अपने भक्तों की,
- समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
- भगवान स्कंद कुमार,
- कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं।
- इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण,
- माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को,
- स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
- नवरात्री पूजा में पांचवें दिन,
- साधक अपने मन को,
- – विशुद्ध चक्र – में स्थित करते हैं।
- इस चक्र में स्थित मन वाले साधक की,
- समस्त बाह्य क्रियाओं एवं
- चित्तवृत्तियों का लोप हो जाता है।
- साधक का मन,
- भौतिक विकारों से,
- काम, क्रोध, मोह आदि विकारों से,
- मुक्त हो जाता है।
माँ स्कंदमाता की कथा, स्वरुप, उपासना, और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
कात्यायिनी देवी
- माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम,
- कात्यायनी देवी है।
- माँ कात्यायनी,
- अमोघ
- अर्थात,
- जो निष्फल, निरर्थक या व्यर्थ न हो,
- फलदायिनी हैं।
- दुर्गा पूजा के छठे दिन,
- साधक का मन,
- – आज्ञा चक्र – में स्थित होता है।
- कात्यायिनी देवी के पूजन से,
- अद्भुत शक्ति का संचार होता है और
- दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं।
कात्यायिनी देवी की कथा, महिमा, उपासना और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
कालरात्रि देवी
- माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति,
- कालरात्रि देवी के नाम से जानी जाती हैं।
- दुर्गापूजा के सातवें दिन,
- माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है।
- माँ की यह शक्ति,
- सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं,
- इसलिए देविका एक नाम शुभंकारी भी है।
- नवरात्रा में सातवे दिन,
- साधक का मन,
- – सहस्रार चक्र – में स्थित रहता है।
- भक्त के लिए ब्रह्मांड की,
- समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।
- माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं और
- देवीकी कृपा से
- साधक, सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।
कालरात्रि देवी की कथा, उपासना, महिमा और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करे –
महागौरी
- माँ दुर्गाजी की,
- आठवीं शक्ति का नाम,
- महागौरी है।
- दुर्गापूजा के आठवें दिन,
- महागौरी की उपासना का विधान है।
- इनकी शक्ति अमोघ और
- सदा फलदायिनी है।
- महागौरी देवी की उपासना से,
- भक्तों को सभी कल्मष धुल जाते हैं, और
- पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
- भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख,
- भक्त के पास कभी नहीं जाते।
- वह सभी प्रकार से पवित्र और
- अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।