जय लक्ष्मीरमणा – सत्यनारायण आरती



1.

जय लक्ष्मीरमणा,
श्री जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायण स्वामी,
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


2.

रत्न जड़ित सिंहासन,
अद्भुत छवि राजे,
स्वामी अद्भुत छवि राजे।

नारद करत निरंजन,
नारद करत निरंजन,
घंटा ध्वनि बजे॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


3.

प्रगट भये कलि कारन,
द्विज को दरस दियो,
स्वामी द्विज को दरश दियो।

बुढा ब्राह्मण बनकर,
बुढा ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


4.

दुर्बल भील कठारो,
जिनपर कृपा करी,
स्वामी जिनपर कृपा करी।

चन्द्रचूड एक राजा,
चन्द्रचूड एक राजा,
जिनकी विपति हरी॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


5.

वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही,
स्वामी श्रद्धा तज दीनी।

सो फल भोग्यो प्रभुजी,
सो फल भोग्यो प्रभुजी,
फिर स्तुति किन्ही॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


6.

भाव भक्ति के कारण,
छीन छीन रूप धरयो,
स्वामी छीन छीन रूप धरयो।

श्रद्धा धारण किनी,
श्रद्धा धारण किनी,
तिनके काज सरयो॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


7.

ग्वाल बाल संग राजा,
वन में भक्ति करी,
स्वामी वन में भक्ति करी।

मनवांछित फल दीन्हो,
मनवांछित फल दीन्हो,
दीनदयालु हरी॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


8.

चढात प्रसाद सवाया,
कदली फल मेवा,
स्वामी कदली फल मेवा।

धुप दीप तुलसी से,
धुप दीप तुलसी से,
राजी सत्यदेवा॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


9.

श्री सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।

तन मन सुख सम्पति,
तन मन सुख सम्पति,
(Or – कहत शिवानंद स्वामी)
मनवांछित फल पावे॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥


10.

जय लक्ष्मीरमणा,
श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्य नारायण स्वामी,
सत्य नारायण स्वामी,
जन पातक हरणा॥

॥ओम जय लक्ष्मी रमणा॥